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बेहतरीन सेक्स ड्राइव के लिए जीवन में अपनाएं ये आसन, उम्मीद से ज्यादा मिलेगा शरीर को फायदा 

आधुनिक युग में हम जिस तरह की जीवन शैली के साथ जी रहे हैं। इसने हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है। देर रात सोना, सुबह देर से उठना, बिना योग और व्यायाम की जिंदगी ने हमारे जीवन को काफी तनावपूर्ण बना दिया है। इसके अलावा ज्यादा चाय, कॉफी, सिगरेट और शराब ने हमारे स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसके कारण महिला हो या पुरुष दोनों ही अपने निजी पलों में अपने पार्टनर को ज्यादा खुशी नहीं दे पा रहे हैं। जिसका प्रभाव दोनों के ही निजी रिश्तों पर पड़ता है। 

ऐसे में रिश्तों में सुधार के लिए योग एक रामबाण दवा साबित हो सकता है, लेकिन योगासनों और प्राणायाम में वे कौन से महत्वपूर्ण आसन, प्राणायाम या योग क्रियाएं हैं, जो तनाव को खत्म कर आपके मन को शांत करती हैं। साथ ही आपके मन मस्तिष्क को नियंत्रण में कर आपकी सेक्स ड्राइव को भी आपके नियंत्रण में करता है। तो आइए जानते हैं योग के उन महत्वपूर्ण कारकों के बारे में जो निजी पलों में आपको शर्मिंदा होने से बचाएंगे। 

1. कपालभाति क्रिया : 
कपालभाति क्रिया सीधे आपके जननांगों की कसरत करती हैं और मन को आराम भी पहुंचाती है। हालांकि इसे जरूरत से ज्यादा करने पर आपको एसिडिटी की भी समस्या हो सकती है। इसलिए कपालभाति को हमेशा कुछ मिनटों के लिए ही करें। कपालभाति करने के लिए सबसे पहले पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में बैठ जाएं। इस दौरान स्पाइन (रीढ़ की हड्‌डी) बिल्कुल सीधी रहेगी। इस पॉजिशन में आने के बाद दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रख सांस को बाहर फेंकना है। 

इस दौरान आपको अपना ध्यान केवल सांस फेंकने पर लगाना है। सांस लेने की क्रिया स्वत: ही पूरी हो जाती है। इस क्रिया के 3 राउंड करें और प्रत्येक राउंड में 30 से लेकर 60 बार तक स्ट्रोक लगाएं। हालांकि बेहतर रिजल्ट के लिए आपको 8 हफ्ते से लेकर 15 हफ्ते तक इंतजार करना पड़ेगा। 

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2. भस्त्रिका प्राणायाम : 
यह प्राणायम भी कपालभाति की ही तरह फायदा पहुंचाता है और मन को शांत करता है। हालांकि यह भी शरीर में एसिडिटी की समस्या कर सकता है। इसलिए इसे भी केवल कुछ मिनटों तक ही करें। इस प्राणायाम को करने से पहले सबसे पहले पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में बैठ जाएं। इस दौरान स्पाइन (रीढ़ की हड्‌डी) बिल्कुल सीधी रहेगी। इसके बाद हाथों को तेजी से ऊपर की ओर ले जाएं और सांस को अंदर की ओर भरें। कोशिश करें सांस लगभग 5 सेकेंड में लें। इसी दौरान हाथ ऊपर की ओर जाएंगे। 

फिर हाथों को तेजी से नीचे की ओर लेकर आएं। इस दौरान खुली हथेलियों की मुट्‌ठी बांध लेनी है और सांस को तेजी से बाहर छोड़ना है। दोनों मुटि्ठयां कंधों के पास आकर रुकेंगी और श्वसन में ली गई पूरी वायु को बाहर छोड़ दिया जाएगा। इस प्राणायाम के भी तीन सेट करने हैं। गर्मी के मौसम में इसके 10 से 15 स्ट्रोक एक सेट में लगाएं। जबकि सर्दियों में इसे थोड़ा बढ़ाया भी जा सकता है। 

इन दोनों को करने के बाद आपका मन काफी हद तक शांत हो जाएगा। इसके बाद नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम-विलोम) भी किया जा सकता है।

3. बद्धकोणासन :
बद्धकोणासन जहां पुरुषों में मर्दाना ताकत को बढ़ाता है। वहीं महिलाओं में बांझपन की समस्या को भी खत्म करता है। इस आसन को तितली आसन भी कहा जाता है, क्योंकि इसे करते समय पैरों के तलवों एक दूसरे से जुड़े होते है और घुटने ऊपर और नीचे की ओर मूव करते हैं। इस आसन को करते समय पैर तितली के पंख फड़फड़ाने जैसी क्रिया करते हैं। 

इस आसन को करते समय सबसे पहले पैरों को सीधाकर के बैठ जाएं। अपने घुटनों को मोड़ें और अपने पैरों के तलवों को एक साथ लाएं, दोनों तलवे इस दौरान एक दूसरे से मिल जाएंगे। तलवों के मिलने के बाद अपनी एड़ियों को जितना हो अपने जननांगों की ओर खींचे। हालांकि इस दौरान पैर में या जांघ में किसी भी तरह का दबाव न पड़े।

इसके बाद अपने घुटनों में दबाव या दर्द महसूस किए बिना तितली की पंखों की तरह मूवमेंट करें। इस दौरान अपने दोनों हथलियों से पैरों को आगे के भाग को पकड़ें। इस दौरान दोनों घुटनों को ऊपर की ओर ले जाएं और फिर नीचे की ओर लाएं। इस तरह एक चक्र पूरा होगा। इस आसन का अभ्यास 30 या 60 सेकंड तक करें। इसे इससे ज्यादा भी किया जा सकता है। इसके तीन सेट करेंगे तो बेहतर होगा।

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4. सुप्तबद्धकोणासन : 
यह आसन भी बद्धकोणासन की तरह ही फायदे देगा। हालांकि इस आसन को करते समय पैर बद्धकोणासन के जैसी ही पॉजिशन में लाने हैं। लेकिन इसमें तितली की तरह मूवमेंट नहीं होगा। दोनों पैरों के तलवों को आपस में मिला दें और स्पाइन सीधी रखें। इसके बाद धीमे धीमे जमीन पर कमर के बल लेट जाएं। कोशिश करें इस दौरान दोनों पैर के तलवे आपस में मिले रहे। धीमें धीमे दोनों एड़ियों को अपने पैल्विक रीजन की ओर खींचें। 

जितना संभव हो उतना ही पास लाएं और उसके बाद इसी पॉजिशन में स्थिर रहें। यदि घुटनों में थकान या दर्द हो तो घुटनों के नीचे किसी सपोर्ट जैसे तकिए, चादर या ब्लॉक को भी रखा जा सकता है। इस आसन में तीन से चार मिनट तक स्थिर रहें। 

5. सेतुबंधासन : 
यह आसन भी महिला और पुरुष दाेनों के लिए ही लाभदायक है। यह आपके पेल्विक रीजन पर प्रेशर डालकर इसे मजबूत करता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपनी पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को सीधा रखें। घुटनों को मोड़ें और पैरों को कूल्हों तक ले आएं। इसके बाद अपने धड़ को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं, लेकिन इस दौरान आपकी गर्दन और सिर फर्श पर ही रहने चाहिए। जितना संभव हो उतना ऊपरतक अपने धड़ को ले जाएं।

हालांकि जिन लोगों की गर्दन या पीठ में चोट हो, तो इस आसन को करने से बचें। यदि आप अपने एब्स और जांघों को टोन करना चाहते हैं। साथ ही अपने कंधों को मजबूत करना चाहते हैं, तो इस आसन का अभ्यास आपको बहुत लाभ देगा। सेतुबंधासन तनाव को दूर कर मन को शांत करता है। साथ ही पाचन में सुधार करता है। इसके अलावा इससे ब्लड प्रेशर भी नियंत्रण में रहता है। पेल्विक रीजन पर पड़ने वाले प्रेशर के कारण यह जननांगों की मांसपेशियों पर दबाव डालकर सेक्स से संबंधित कई समस्याओं का समाधान कर देता है। 

इस तरह से इन आसनों के अभ्यास से आप अपने मन को शांत कर सकते हैं और अपनी सेक्स लाइफ को और मजेदार बना सकते हैं। हालांकि इन सभी आसनों के अभ्यास से पूर्व किसी अच्छे योगाचार्य से सलाह अवश्य ले लें और यदि शरीर में किसी भी तरह का तनाव या दर्द है, तो इन सभी आसनों को करने से बचें। 

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